Mutual funds क्या होता है? और Mutual fund में कैसे इन्वेस्ट करे।

क्या आप जानते है Mutual Fund क्या होता है? अगर आप नहीं जानते है है तो आज में आपको पूरी डिटेल में इसके बारे में बताने वाला हूं। ये पैसे को शेयर मार्केट में निवेश करने का एक जरिया है। इसमें अगर अपने जानकारी लेके अपने पैसे लगाए तो ये आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। आपके सभी सवालों के जवाब मिलेंगे जैसे – म्यूचुअल फंड कितने प्रकार के होते है?, म्यूचुअल फंड में कैसे इन्वेस्ट करे?

Mutual fund क्या होता है?

Mutual फंड एक एसी कंपनी है जो लोगो के पैसे को स्टॉक, बॉन्ड, और एसेट्स निवेश करता है। उस कंपनी के लिए हुए holding (stock, bond, or assets) को portfilo कहा जाता है। म्यूचुअल फंड के होल्डिंग की देखा रेख के लिए एक मैनेजर रखा जाता है।

म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले टर्म और कंडीशन पढ़ना बहुत जरूरी है। निवेश करने से पहले रिस्क के बारे में जानना बहुत ही जरूरी है क्योंकि ये हानिकारक भी हो सकता है। ये निवेशक को उसके पैसों के लिए यूनिट प्रदान करता है। इस यूनिट की NAV कहा जाता हैं।

Mutual fund कितने प्रकार के होते है?

म्यूचुअल फंड कई प्रकार के होते है। इसको तीन श्रेणीयों में बटा गया है।

1. Assets class (एसेट्स क्लास):-

एसेट्स क्लास म्यूचुअल फंड में किसी एक या उसे अधिक एसेट्स में इन्वेस्ट किया जाता है। ये तीन प्रकार में बटा गया है।

1. Equity Mutual Fund (इक्विटी म्यूचुअल फंड):-

इक्विटी फंड में लोगो से पैसे लेके स्टॉक मार्केट लगा दिया जाता है। इसमें रिस्क और प्रॉफिट (लाभ) दोनो होता है। ये आपको करीब 10% से 12% तक लाभ होता है। इस फंड को ज्यादातर लोग पसंद करते है। इसे भी अलग – अलग स्कीम में बटा गया है।

  • Large Cap Fund (लार्ज कैप फंड):-

    इस फंड के द्वारा लोगो के पैसे बड़ी कंपनी में लगाया जाता है। इस फंड में रिस्क काम कम है और रिटर्न भी काम मिलता है। ये फंड उन लोगो के लिए बढ़िया है जो रिस्क लेने से डरते है।

  • Mid Cap Fund (मिड कैप फंड):-

    जब कोई नई कंपनी खोलता है और उसे ग्रोथ के साथ जमा लेता है, आगे के ग्रोथ के लिए उसे निवेशकों से पैसे उधार लेती है, उसको ही मिड कैप फंड कहते है। ये लार्ज के मुताबिक अधिक रिटर्न देती है।

  • Small Cap Fund (स्मॉल कैप फंड):-

    Small cap fund वो कंपनिया देती है। जो मार्केट में नई आई होती है और उनको अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए फंड चाहिए होता है। ये रिटर्न ज्यादा देती है लेकिन रिस्क ज्यादा होता है।

  • Multi Cap Fund (मल्टी कैप फंड):-

    Multi मतलब ही अनेक होता है। यानी multi cap Fund अलग अलग कंपनी में निवेश करती है। इसमें भी रिस्क होता है।

  • Flexi Cap Fund (फ्लेक्सी कैप फंड):-

    Flexi cap fund अपने फंड का चुनाव स्वेयं करती है। इसमें 65% इक्विटी और इक्विटी ओरिएंट फंड में होता है। इसमें रिस्क काम होता है लेकिन रिटर्न काम मिलता है।

  • Equity linked Saving Scheme (ELSS):-

    ELSS एक इक्विटी ओरिएंट स्कीम है। इसमें आप 3 साल से कम समय के लिए इन्वेस्ट नही कर सकते है। इस फंड में आपके पैसे 3 साल के लिए लॉक हो जाता है। इसको tax saver scheme भी कहा जाता है क्योंकि अपको income tax पे section 80c के तहत 1.50 लाख की छूट मिलती है।

2. Dept Mutual Fund (डेप्ट म्यूचुअल फंड):-

डेप्ट फंड में फंड मैनेजर या सरकार लोगों से पैसे उधार लेती है और वो आपको एक निश्चित ब्याज देती है। इस फंड में आपको निश्चित रकम मिलती है। इस फंड को भी अलग – अलग स्कीम में बटा गया है।

  • Gilt Fund (गिल्ट फंड):-

    जो फंड सिर्फ goverment security में इन्वेस्ट करते है उसे ही गिल्ट फंड कहते है। इस फंड में गवर्मेंट द्वारा सिक्योरिटी issue किया जाता है। इस लिए इसमें रिस्क काम होता है। इस फंड के स्कीम में लाभ हो या नुकसान लेकिन आपको रिटर्न जरूर मिलेगा क्योंकि गवर्मेंट से ज्यादा भरोसेमंद कोई कंपनी नहीं हो सकती है। गिल्ट फंड दो तरह के होते है – long term और short term.

  • Junk bond Fund (जंक बॉन्ड फंड):-

    जंक बॉन्ड फंड corporate bond में इन्वेस्ट किया जाता है। इसमें रिस्क ज्यादा होता है। और इसमें रिटर्न भी ज्यादा होता है।

  • Fixed Security Fund (फिक्स्ड सिक्योरिटी फंड):-

    फिक्स्ड सिक्योरिटी फंड बैंक FD ही जैसा प्लान होता है। इसका रिटर्न बैंक FD से ज्यादा होता है। इसमें maturity plan निश्चित होता है जो 5 साल या 10 साल । ये प्लान ज्यादातर certificate of deposits, commercial paper, corporate bond, etc में इन्वेस्ट करते है।

  • Liquid Fund:-

    ये डेप्ट फंड मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट में निवेश करता है। मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट में फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट आते है। जिनके जरिए कंपनिया short term investment के लिए इन्वेस्टर से पैसे उधार लेती है। ये सेविंग अकाउंट से ज्यादा रिटर्न देता है। इसमें रिस्क भी काम होता है। लिक्विड फंड शॉर्ट टर्म के लिए इन्वेस्ट होता है। जैसे – certificate of deposits, commercial paper, treasury bill, term deposit.

3. Hybrid Mutual Fund (हाइब्रिड म्यूचुअल फंड):-

हाइब्रिड फंड का मतलब फंड का पैसा इक्विटी और डेप्ट दोनो में लगाया जाता है। जिसमे लोगो को डेप्ट के जरिए निश्चित ब्याज भी मिले और इक्विटी की जरिए रिस्क लेके लाभ भी ज्यादा मिले। ये इक्विटी से कम रिस्क और डेप्ट से अधिक रिस्क होता है। इस फंड को भी अलग – अलग स्कीम में बटा गया है।

  • Equity oriented Hybrid Fund:-

    इस फंड में 65% इक्विटी और 35% डेप्ट फंड में लगाया जाता है। परंतु इसमें रिस्क बहुत है।

  • Debt oriented Hybrid Fund:-

    इस फंड के जरिए 60% इक्विटी और डेप्ट निवेश किया जाता है। इसमें रिटर्न काम मिलता है और रिस्क भी कम होता है।

  • Balanced Hybrid Fund:-

    इसके जरिए अलग अलग एसेट्स क्लास में निवेश किया जाता है। यानी इक्विटी और dept दोनों में पैसे लगते है। इसलिए रिस्क भी मॉडरेट रहता है।

  • Monthly income fund:-

    इसके जरिए 90% तक डेप्ट में इन्वेस्ट किया जाता है। यह रिटर्न भी ज्यादा देता है।

  • Arbitrage Fund:-

    आर्बिट्रेज फंड के जरिए एक बाजार से स्टॉक खरीद कर दूसरे बाजार में अधिक मूल्य बेचे जाते है।

4. Sector Fund:-

सेक्टर फंड किसी विशेष सेक्टर में निवेश किया जाता है। ये फंड सेक्टर पर निर्भर करता है इसलिए इसमें रिस्क ज्यादा है। अगर सेक्टर का मार्केट डाउन गया तो आपको नुकसान भी हो सकता है। जैसे – रिलायंस मीडिया और एंटरटेनमेंट में इन्वेस्ट करते है।

5. Thematic Fund

ये फंड theme में इन्वेस्ट किया जाता है। HDFC housing opportunity fund एक theme फंड है। जो कि हाउसिंग थीम में इन्वेस्ट करती है। इसके लिए म्यूचुअल फंड सीमेंट कंपनी, पेंट कंपनी, कंस्ट्रक्शन कंपनी आदि में इन्वेस्ट करता है। इसमें भी रिस्क होता है। इसके और भी उधारण है जैसे – Ruler theme, E – commerce theme.

2. Structure class

Structure class को दो प्रकार में बटा गया है।

  1. Open Ended Fund :-

    ज्यादातर लोग म्यूचुअल फंड open ended फंड ही होते है। इस फंड को आपको कभी भी buy और sell कर सकते है। Open ended फंड आपको यूनिट इश्यू करता है।

  • Closed Ended Fund:-

    बहुत ही कम close ended fund होता है। इस फंड को आप कभी भी buy और sell नही कर सकते है। Close ended fund अपको एक fixed unit issue करता है। जब ये फंड अपना NFO (New Fund Offer) लेके आता है तभी आप इसमें इन्वेस्ट कर सकते है। अगर आप इस फंड को बेचना चाहते है तो आपको इसके मैच्योरिटी का इंतजार करना होगा। फिर भी आप इसे Stock exchange में buy और sell कर सकते हैं। इस फंड की liqudity बहुत कम होती है इसलिए buyer और seller कम मिलते हैं

  • Index Fund :-

    इसके जरिए फंड इंडेक्स में इन्वेस्ट किया जाते है। जैसे – Nifty, Nifty bank आदि। इसमें सभी स्टॉक sensex के होते हैं। इसमें लाभ sensex value पर निर्भर करता है।

3. Fund Manage

Fund Manage के आधार पे दो प्रकार बटा गया है।

  1. Actively Managed Fund:-

    इस फंड के इन्वेस्ट (निवेश) से जुड़े सभी डिसीजन फंड मैनेजर लेता है। यदि आपको किसी स्टॉक में इन्वेस्ट कर न है तो कैसे और किसमे इन्वेस्ट करना है ये सब आपको फंड मैनेजर बतेगा।

  • Passively Managed Fund:-

    इस फंड के इन्वेस्ट (निवेश) से जुड़े कोई डिसीजन फंड मैनेजर नही लेता है सभी डिसीजन आपको लेना होता है। यदि आपको स्टॉक में निवेश करना है तो आपको खुद उसकी जानकारी रखनी होगी उसके बाद अपने रिस्क पे इन्वेस्ट कर सकते है।

Mutual fund में कैसे इन्वेस्ट करे?

Mutual fund में इन्वेस्ट करने के लिए आपको बहुत सारे एसे ऐप मिलेंगे जिसके जरिए आप म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट कर सकते है। इन्वेस्ट करने वाले ऐप जैसे – Groww, paytm money, Mycam, invesTap, Ktrack mobile app, icici, SBI, etc

अगर आप इन्वेस्ट करना चाहते तो मेरी सलाह मन कर groww और paytm money करे क्योंकि ये बहुत सेफ और सिक्योर है। इसको यूज करना बहुत easy हैं।

Groww ऐप में इन्वेस्ट करने के लिए आपको सबसे पहले अपना डीमैट अकाउंट खोलना होगा। अगर आपको पता नही है कि डीमैट अकाउंट कैसे खोलते है तो मेने इसके बारे डिटेल में डीमैट अकाउंट क्या है? और कैसे खोले? और इसके क्या फायदे… इस आर्टिकल में बता है आप पता कर सकते है।

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